अपने बच्चों को ऐसे बनाएं बुद्धिमान और बलशाली, नियमित खिलाएं..
- गुड़ व मुंगफली शक्तिवर्धक, इसलिए होता है हनुमानजी का प्रसाद - हमारे हर त्यौहार और खान-पान के पीछे है विज्ञान, जानिए और अपनाइए
आयुर्वेदिक बाबा।
हमारे पूर्वज इतने बुद्धिमान थे कि उन्होंने अपार खोज की। क्या उन्होंने कोई विटामिन टॉनिक पी थी ? हमारे पूर्वज सभी स्वदेशी खाद्य पदार्थों का नियमित रूप से सेवन करते होंगे, इसीलिए हमारी वर्तमान पीढ़ी की तुलना में वो अधिक सशक्त थे। स्वस्थ और अधिक बुद्धिमान थे। इसीलिए 18-19 वर्ष की आयु में वाग्भट्टजी ने पूरा आयुर्वेद, आर्यभट्ट ने पूरा बीजगणितीय ज्ञान लिखे। उस समय के लोग कौन-सा टॉनिक पी रहे थे ? एक सवाल अपने आप से पूछें…। आज हम पश्चिमी संस्कृति के पीछे भागकर उनकी नकल कर रहे हैं। अपने बच्चों को कभी बोनविटा तो कभी कोम्पलेन पीला रहे हैं। इसके बगैर क्या वे तेज दिमाग वाले या बलशाली नहीं हो सकते। प्राचीन समय में कोई हानिकारक केमिकल का अन्न नहीं था। गाय का दूध भी शुद्ध ...हम हजारों वर्षों से विज्ञान में आगे थे। इसलिए में पश्चिम की नकल करने की जरूरत नहीं है। आप अपने बच्चों को ये व्यंजन (केमिकल कम्पोजिशन) बच्चों को नियमित रूप से दें तो हमारे बच्चे भी बलशाली और बुद्धिमान हो सकते हैं।
गुड़ + नारियल = बुद्धीवर्धक (इसलिए यह होता है गणपती बप्पा का प्रसाद)
गुड़ + मूंगफली = शक्तिवर्धक (इसलिए यह होता है श्री हनुमान का प्रसाद)
तिल + गुड़ = कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन + जिंक + सेलेनियम।
- तिल (ह्रदयरोग) के लिए फायदेमंद और ठंड के मौसम में शरीर को गर्म रखने के लिए उपयोगी। सेलेनियम - कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने में मदद करता है।
- गोंद के लड्डू या राजगिरा के लड्डू, गुड, देसी घी में रोटी, मूंगफली की चिक्की या भीगे हुए चने,लाह्या (पापकार्न)
यदि हम ऐसे कई पदार्थों के मिश्रण केमीकल कंम्पोजिशन को देखें तो, वे शरीर के लिए फायदेमंद होंगे!
बच्चों को न बनाएं मैगी जनरेशन -
हमारे हर त्यौहार और हर खान-पान के पीछे विज्ञान है। हमें केवल त्यौहारों को मनाने के लिए सिखाया जाता है, इसके पीछे का विज्ञान, उस वातावरण में उसी वातावरण का ही भोजन क्यों खाते हैं ? यह सिखाया नहीं जा रहा है। अगर यह सिखाया जाए तो बोर्नवीटा और कोम्पलेन जैसी बाजारू चीजों की तरफ कोई देखें भी नहीं। इसलिए बच्चों में देशी चीजें खाने की आदत डालें। वर्ना आने वाली मैगी जनरेशन न बलशाली होगी और न बुद्धिमान। इसलिए स्वदेशी खाओ, ताकत बढ़ाओ और अपनी संस्कृति में विश्वास करोञ।